देश भक्त की भक्ति पर तुम कालिख क्यूँ पुतवाते हो???? समीक्षा "परिंदों को मिलेंगीं मंज़िलें एक दिन, यह फैले हुए उनके पर बोलते हैं, वही लोग खामोश रहते हैं अक्सर, ज़माने में जिनके हुनर बोलते हैं." जब सत्ता की ये बागडोर हमने तुमको पहनाई थी,
काम करोगे पाक साफ़ हो कसम ये तुमने खायी थी,
फिर क्यूँ हो दीमक बन सबरे देश को खाते हो,
देश भक्त की भक्ति पर तुम कालिख क्यूँ पुतवाते हो?
जलियावाला बाग़ में लोगों ने जो गोलीं खायीं थीं,
छोड़ गुलामी लोगों ने जो मौत गले लगायी थी,
कर-कर यूँ चोरी क्यूँ उनके प्रेम को जुठलाते हो,
देश भक्त की भक्ति पर तुम कालिख क्यूँ पुतवाते हो?
कर-कर जो चोरी तुमने स्विस बैंकों मैं खाते खुलवाए हैं,
छोड़ शराफ़त तुमने क्यूँ काँटों के बीज उगाये हैं,
कर-कर घोटाले तुम, क्यूँ “आदर्श” बनाते हो,
देश भक्त की भक्ति पर तुम कालिख क्यूँ पुतवाते हो? देश की रक्षा करेगी यो कुछ ऐसी नीति बनायीं थी,
लोगों के पैसे से तब
बोफोर्स भारत आई थी,
फिर क्यूँ बन गद्दार उसे तुम हम पर ही चलाते हो,
देश भक्त की भक्ति पर तुम कालिख क्यूँ पुतवाते हो?
गरीबों के सपनो में तुमने आग बड़ी लगाई है,
मेहनत के पैसे से तुमने महफ़िल खूब जमाई है,
फिर क्यूँ जबरन तीस करोड़ लोगों से रोज अनशन करवाते हो,
देश भक्त की भक्ति पर तुम कालिख क्यूँ पुतवाते हो?
लोगों ने सोचा था रात्रमंडल खेल कराएँगे,
भारत को दुनियां की चोटी पर मिलकर हम पहुचाएंगे,
उस पर भी तुम घोटालों की क्यूँ सेंध लगाते हो,
देश भक्त की भक्ति पर तुम कालिख क्यूँ पुतवाते हो?
किसानों ने भारत में सेकड़ों टन गेहूं उपजाया था,
भारत का हर बच्चा भर पेट सोये ऐसा सपना सजाया था,
उस को भी तुम गोदामों के भर क्यूँ सड़ाते हो,
देश भक्त की भक्ति पर तुम कालिख क्यूँ पुतवाते हो?
राधे-राधे
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