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बहुओं का आयात

समीक्षा
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छोटे परिवार के इस युग में,
सभी करते हैं पुत्र की ही कामना,
परिणाम स्वरुप शीघ्र ही होगा,
करना होगा विकट स्थिति का सामना .

आगामी कुछ ही दशकों में,
कन्याओं की संख्या इतनी कम हो जाएगी

की वर्षो प्रतीक्षा करके भी,
पुत्र विवाह की नौबत नहीं आएगी.

दहेज़ की बात छोड़िये,
बहुएं ब्लैक में मिलेंगीं,
स्वस्थ सुंदर की कौन कहे,
कानी कुबड़ी भी चलेगीं.

बहुओं का रुतबा होगा,
सासें हाथ मिलेंगीं,
गृह कलह की दशा में,
बहुएं नहीं सासें जलेंगी.

फिर विवश होकर विदेशों से,
जैसी तैसी बहुएं मंगानी होंगीं,
राशन कार्ड के वितरण में भी,
धक्कम-धक्का और मनमानी होगी

राधे-राधे

-आयुष कुमार द्विवेदी

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